The smart Trick of shiv chalisa in hindi That No One is Discussing
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सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? - प्रेरक कहानी
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
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अर्थ: हे शिव शंकर भोलेनाथ आपने ही त्रिपुरासुर (तरकासुर के तीन पुत्रों ने ब्रह्मा की भक्ति कर उनसे तीन अभेद्य पुर मांगे जिस कारण उन्हें त्रिपुरासुर कहा गया। शर्त के अनुसार भगवान शिव ने अभिजित नक्षत्र में असंभव रथ पर सवार होकर असंभव बाण चलाकर उनका संहार किया था) के साथ युद्ध कर उनका संहार किया व सब पर अपनी कृपा की। हे भगवन भागीरथ के तप से प्रसन्न हो कर उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाने की उनकी प्रतिज्ञा को आपने पूरा किया।
पुत्र होन कर इच्छा जोई। Shiv chaisa निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
O Lord, the beloved daughter of Maina on your own still left provides on your splendid look. O Wearer in the lion's pores and skin, the trishul with your hand destroys all enemies.
Each time the gods get in touch with out to him in distress, Lord Shiva right away gets rid of their sorrows. In the course of the good turmoil because of Tarakasura, Many of the gods turned to you for aid.